Patna High Court Big Decision : पटना हाईकोर्ट का एक बड़ा फैसला है जो शिक्षा में अनुशासन पर जोर देता है। कोर्ट ने कहा कि 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने की इजाजत नहीं मिल सकती। यह फैसला बेगूसराय और दरभंगा के दो छात्रों की याचिका पर आया। न्यायमूर्ति पीबी बजन्थरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिन्हा की पीठ ने सुनवाई की। छात्रों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम थी। कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। यह निर्णय छात्रों को नियमित कक्षा में जाने के लिए मजबूर करेगा।
कोर्ट की मुख्य दलीलें
Patna High Court Big Decision में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि उपस्थिति की कमी को माफ नहीं किया जा सकता। नियम वैधानिक हैं और अदालत विश्वविद्यालय को मजबूर नहीं कर सकती। सहानुभूति नियमों को खत्म नहीं कर सकती। अनुच्छेद 14 नकारात्मक समानता की अनुमति नहीं देता। छात्रों ने दावा किया कि अन्य छात्रों को कम उपस्थिति पर अनुमति मिली लेकिन कोर्ट ने भेदभाव के आरोप खारिज किए। नियम सभी के लिए समान हैं। यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखेगा।
छात्रों की याचिका का विवरण
Patna High Court Big Decision में छात्र शुभम कुमार और शशिकेश कुमार ने याचिका दाखिल की। शुभम बेगूसराय के राष्ट्रकवि रामधारी सिंह इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र है। शशिकेश दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का। उन्होंने कहा कि फीस जमा करने के बावजूद परीक्षा फॉर्म रोका गया। एक छात्र ने पीलिया का प्रमाण पत्र दिया। लेकिन कोर्ट ने पाया कि उपस्थिति बहुत कम है। कॉलेज ने नोटिस दिए लेकिन छात्र नहीं आए। कोर्ट ने कहा कि फीस से परीक्षा का अधिकार नहीं मिलता। नियमों का पालन जरूरी है।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का प्रभाव
Patna High Court Big Decision में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र है। कोर्ट ने कहा कि उपस्थिति की आवश्यकता बाध्यकारी है। राहत नहीं दी जा सकती। कानून के विरुद्ध परीक्षा में बैठने का अधिकार नहीं है। विवि ने समान मानदंड लागू किए हैं। यह फैसला अन्य मामलों में भी लागू होगा। छात्रों को नियमों का सम्मान करना सिखाएगा।
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निष्कर्ष
Patna High Court Big Decision शिक्षा में अनुशासन की मिसाल है। 75 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी है। छात्रों को नियमित होना चाहिए। यह फैसला अन्य राज्यों में भी प्रभाव डालेगा। शिक्षा प्रणाली मजबूत होगी। छात्रों को सलाह है कि कक्षा में जाएं।